Rekha mishra

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Feb-2022

                प्रस्ताव 
प्रस्ताव ऐसा दो के सामने 
वाला हँस कर स्वीकार करे ।
ये ना हो वो इस प्रस्ताव में 
वो अपनी नियति पर ही वार करे। 
हर एक के कुछ उसूल होते है 
जीने के, उनसे ना वो दरकार करे। 
सोचो प्रस्ताव कहीं तुम्हें भी मिला 
और वैसा ही जैसा तुम दूसरे को 
देकर आए थे। तो ना सह पाओगे। 
प्रतिशोध की अग्नि में जल भुन जाओगे। 
तो याद रहे प्रस्ताव की भी मर्यादा होती 
है थोड़ी कम थोड़ी ज्यादा होती है। 
लज्जित ना हो कोई तुम्हारे प्रस्ताव के आगे।                    इसकी तुम्हें भरपूर जानकारी रहे। 
प्रस्ताव ऐसा दो सामने वाला हँस 
कर स्वीकार करे।  

By-Rekha mishra 

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5 Comments

Punam verma

10-Feb-2022 09:00 AM

Very nice

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Abhinav ji

09-Feb-2022 11:24 PM

Very nice

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Seema Priyadarshini sahay

08-Feb-2022 08:04 PM

बहुत खूब

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